80 प्रतिशत महिलाओं में सेक्सुअल वायरस के कारण होता हैं गर्भाशय कैंसर, बचने टीकाकरण व स्क्रीनिंग जरुरी : डा. आशा

रायपुर

80 प्रतिशत से अधिक महिलाओं को सेक्सुअल वायरस के कारण गर्भाशय का कैंसर होता हैं, 20 प्रतिशत महिलाएं जागरुक होने और समय पर टीकाकरण व स्क्रीनिंग कराकर बची हुई है। रायपुर एम्स में आने वाली हर महिलाओं का नि:शुल्क स्क्रीनिंग किया जाता है और उन्हें टीकाकरण करवाने की सलाह दी जाती हैं।

चूंकि केंद्र और सरकार में समन्वय नहीं होने के कारण केंद्र सरकार द्वारा पायलट प्रोजेक्ट में छत्तीसगढ़ को शामिल नहीं किया है लेकिन खुले बाजार में 2000 रुपये में 9 से 25 वर्ष की आयु तक की युवतियों और महिलाओं के लिए वैक्सीन उपलब्ध है जिसे वे कहीं पर भी जाकर लगवा सकती हैं और गर्भाशय में होने वाले कैंसर से बच सकती है क्योंकि हर 7 मिनट में एक महिला की मौत सर्वाकल कैंसर से हो रही है। एक विदेशी कंपनी के द्वारा 45 वर्ष की महिलाओं के लिए वैक्सीन बनाया है जिसे वे खुले बाजार से 4000 से 5000 रुपये में खरीदकर जरुर लगाएं। इन्हीं सबकी जानकारी देने के लिए रायपुर एम्स के सहयोग से इंडियन सोसायटी आॅफ कोल्पोस्कोपी एंड सर्वाइकल पैथोलॉजी ने 16वें वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 13 और 14 अप्रैल को एम्स में किया है जहां 60 से अधिक डॉक्टर विदेश से आ रहे हैं। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उक्त बातें डा. आशा जैन, डा. पुष्पावती ठाकुर, डा. सरिता, डा. नंदिनी ने कहीं।

डा. आशा ने बताया कि 2022 में लगभग 660000 नए मामलों में और लगभग 350000 मौतों के साथ वैश्विक स्तर स्तर पर सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर की घटनाओं और मृत्यु दर की उच्चतम दर निम्न व मध्यम आय वाले देशों में है। एचआईवी से पीड़ित महिलाआओं में एचआईवी रहित महिलाओं की तुलना में सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना 6 गुना अधिक होती है क्योंकि उनमें जागरुकता की कमी होती है और जब उन्हें पता चलता हैं तब तक देर भी हो जाती है। सर्वाइकल कैंसर से बचने के लिए भारत ने वैक्सीन बना लिया है जिसे सीरम इंडट्रीट्यूट ने बनाया है और विदेशी वैक्सीन से आधी कीमत में उपलब्ध है। विदेशी वैक्सीन जहां 4000 से 500 रुपये में इसे उपलब्ध करा रही है वहीं भारत की वैक्सीन मात्र 2000 रुपये में, जिससे निम्न से मध्यम वर्ग आसानी से खरीद सकता है। गर्भाशय के कैंसर से बचने के लिए सीरम इंडट्रीट्यूट द्वारा बनाए गए वैक्सीन को डब्ल्यूएचओ ने 25 साल तक की उम्र के लिए उपयोगी माना हैं जिसमें 9 से 13 साल, 15 से 20 और 21 से 24 साल की महिला व युवती लगवा सकती हैं। विदेशी वैक्सीन को 25 से 45 साल तक लगाने की अनुमति प्राप्त है। 9 से 13 साल की युवतियों को तीन बार यह वैक्सीन लगवना जरुरी है। समय पर स्क्रीनिंग व वैक्सीन महिलाएं व युवतियां लगवा लेती हैं तो वे 100 प्रतिशत गर्भाशय के कैंसर से बच सकती हैं।

India Edge News Desk

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